आलेख
जलियांवाला बाग

डॉ आर के मतङ्ग
जलियांवाला बाग नाम सुन
रोम सिहर जाते मेरे
श्रद्धांजलि में अश्रु निकल पड़ते
हो जाते लाल नयन मेरे
कायर उस जनरल डायर की
करतूत घृणित है दिख जाती
दंड उचित देने को बस
आत्मा मेरी है अकुलाती
भारत की आजादी के हित
किचलू,सत्यपाल भी शहीद हुए
पंद्रह सौ से ऊपर घायल
तीन सौ उन्यासी शहीद हुए
तेरह अप्रैल सन उन्नीस सौ उनीस को
हुई दरिंदगी भारी थी
शांति वार्ता में धोखा
अंग्रजों की गद्दारी थी
भारत माँ के लालों से
लतपथ था जलियांवाला बाग
अंग्रेजों की कायरता का
इतिहास बना विश्वासघात
निज देश की रक्षा,आन,बान
और शान की खातिर लड़े सभी
ये नरसंहार न भूलेगा
न ही होगा अब माफ कभी
रक्त नयन ले अश्रु धार
भारत माँ की जय जयकार करें
माता की रक्षा में जीवन
अर्पण कर खुद को अमर करें
स्वरचित
डॉ आर के मतङ्ग
श्री अयोध्या धाम