आलेख
दोहे

प्रीति चौधरी”मनोरमा”
1आँधी
आँधी आयी साँवरे, थामो जीवन डोर।
दुख के काले मेघ से, बरसे दुख चहुँओर।।
2पानी
पानी है संजीवनी, जैसे रस की धार।
बिन पानी के हे मनुज, जीव-जंतु बेकार।।
3विद्युत
विद्युत जैसी लग रही, बिंदी मस्तक आज।
जैसे राजा शीश पर,सोहे कोई ताज।।
4उपल
उपल गिरे हैं आज तो, फैला हाहाकार।
कृषक सोच में डूबता, सहता हानि अपार।।
5 अधर
अधर खिले हैं साजना, देख पिया का रूप।
मिलन सुधा से भर गया, अंतस का यह कूप।।
प्रीति चौधरी”मनोरमा”
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित