
__एकता गुप्ता “काव्या”
मई माह के दूसरे रविवार को बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है मातृत्व दिवस–
चंद शब्दों में मॉं को परिभाषित करना आसान नहीं है लेकिन फिर भी प्रयास अपनी नन्हीं कलम से—
मॉं हम सभी के जीवन में पहली सबसे महत्वपूर्ण और सबसे अच्छी सखा होती है क्योंकि मॉं के जैसा सच्चा और वास्तविक कोई और हो ही नहीं सकता।
मॉं प्रकृति की तरह है जो केवल बदले में कुछ लेने के बिना देना जानती है, अपने बच्चे का पालन-पोषण ईश्वर के समान करती है,अगर पृथ्वी पर कोई भगवान है तो वह कोई और नहीं हमारी अपनी प्यारी मॉं* ही है। मॉं अद्वितीय है और पूरे ब्रह्मांड में एक मात्र ऐसी है जिसे कुछ भी प्रतिस्थापित नहीं कर सकते। मॉं हमारी हर छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान है।
एक मॉं हमारी पहली पाठशाला है और हमारे जीवन की पहली और प्यारी शिक्षिका बन जाती है, वह हमें व्यवहार सम्बन्धी पाठ और जीवन के सच्चे दर्शन सिखाती है।
इस दुनिया में हमारे जीवन के अस्तित्व से लेकर अपने गर्भ में और जीवन भर हमारा ख्याल करती है।
मॉं हमेशा अपने जीवन में बच्चों को प्राथमिकता देती है और उन्हें आशा की किरण दिखलाती है। एक विशेष अटूट बंधन जो मॉं और बच्चों के मध्य होता है जिसे कभी समाप्त नहीं किया जा सकता। एक मां कभी भी अपने बच्चों के प्रति अपने प्रेम और देखभाल को कम नहीं करती, मॉं हमेशा अपने बच्चों पर निश्छल प्रेम लुटाती है लेकिन हम बच्चे मिलकर बुढ़ापे में बूढ़ी मॉं को थोड़ा प्यार दुलार और देखभाल नहीं दे सकते हैं फिर भी मॉं कभी हम बच्चों को ग़लत नहीं समझती और हमारी गलतियों को माफ कर देती है।
मॉं* ही प्रत्येक परिवार की रीढ़ होती है जो पूरे परिवार को बांधती है और इसे एक एकल शक्तिशाली इकाई में एकजुट करती है। मॉं* हमारे जीवन में एक सच्ची सहेली बनकर दुनिया का सामना करने का आत्मविश्वास देती है और हमें हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु प्रेरित करती है। हम सफलता की सीढ़ी चढ़ कर बेशक कोई नयी उपाधि पा लें लेकिन मॉं से पाई उपाधियां हम बच्चों के लिए अद्वितीय अनुपम अविस्मरणीय होती हैं।
विधा– हाइकु
कहते प्रसू*
मॉं तेरी ही लगन
करूं नमन–१
हे जन्मदात्री
देती शीतल छाया
जग समाया–२
जीवन दिया
गोद में आंखें खोली
मॉं मीठी बोली–३
ममतामई
सुलझाती पहेली
सच्ची सहेली–४
अप्रतिम मॉं*
मैं बन परछाई
सीखूं अच्छाई–५
एकता गुप्ता “काव्या”
उन्नाव उत्तर प्रदेश