आलेख
हे हनुमंते

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
हे हनुमंते !कष्टनिवारक,सारे दर्द मिटाओ।
दानवता हँसती है भगवन्,नव किरणें बिखराओ।।
कदम-कदम पर अनाचार है,
झूठों की है महफिल
आज चरम पर पापकर्म है,
बढ़े निराशा प्रतिपल
रामभक्त,हे पवनपुत्र!,तुम चमत्कार दिखलाओ।
दानवता हँसती है भगवन्,नव किरणें बिखराओ।।
मोह,लोभ में मानव भटका,
भ्रम के गड्ढे गहरे
लोभी,कपटी,दंभी,हँसते,
हैं विवेक पर पहरे
रामनाम की महिमा लेकर,मानवता सरसाओ।
दानवता हँसती है भगवन्,नव किरणें बिखराओ।।
जीवन तो अब बोझ हो गया,
तुम वरदान बनाओ
नारी का तो शील हरण है,
आकर लाज बचाओ
बालरूप में,हे शुभकारी !,अमिय आज बरसाओ।
दानवता हँसती है भगवन्,नव किरणें बिखराओ।।
–प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे
मंडला,मप्र