यज्ञ के धूम से संभव है जलवृष्टि – प्रो. रामहित त्रिपाठी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग एवं पं० गङ्गानाथ झा पीठ के संयुक्त तत्त्वावधान में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन दिनाँक 05/12/2022, मङ्गलवार को किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पं. महादेव शुक्ल कृषक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो० रामहित त्रिपाठी जी रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मङ्गलाचरण एवं विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। वाचिक स्वागत विभागीय आचार्य प्रो० अनिल प्रताप गिरी ने किया। मुख्यवक्ता प्रो० त्रिपाठी द्वारा ‘वैदिक यज्ञ विधान’ विषय पर अत्यन्त सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा गया कि यज्ञ शब्द यज् धातु से बना है, जिसके तीन अर्थ हैं, जो इसके व्यवहारिक एवं समग्र स्वरुप पर प्रकाश डालते हैं – देवपूजन, संगतिकरण और दान। इन तीनों प्रवृतियों में व्यक्ति एवं समाज के उत्कर्ष संभावनाएं विद्यमान हैं।

वेद एवं वेदों की व्याख्या करने वाले ब्राह्मण ग्रंथों में अनेक प्रकार के यज्ञों का सम्पादन किया गया है। त्रयी विद्या का विधान यज्ञ की सिद्धि हेतु किया जाता है। मंत्रों का उच्चारण ऋत्विजों द्वारा किया जाता है। यज्ञ की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि यज्ञ द्वारा उत्पन्न धूम नभोमंडल में जाकर एच टू ओ का निर्माण करता है जिससे जल वृष्टि होती है। मुख्य वक्ता के उद्बोधन के अनन्तर संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो० उमाकान्त यादव ने अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन विभागीय आचार्य प्रो० प्रयाग नारायण मिश्र ने किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ० मीनाक्षी जोशी ने किया। अन्त में विभागीय सह-आचार्य डॉ० विनोद कुमार ने शान्ति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम में विभाग के सभी प्राध्यापकों सहित सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

संकलनकर्त्ता – डॉ. विकास शर्मा (सहायक आचार्य, संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय)