हर माह दस से पंद्रह हज़ार वीडियो देखें जाते है डॉ रामशंकर चंचल के

दि ग्राम टुडे समाचार
झाबुआ। नि प्र। देश और विदेश में चर्चित लाखों चाहने वालों की धड़कन डॉ रामशंकर चंचल मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल में जन्मे वो महान साहित्य साधक है जिसे आज पूरे देश और विदेश में बेहद सुना और सराहा जा रहा है। इस महान साहित्य साधक से पूछा गया हमने ऐसा क्या है आदरणीय डॉ चंचल जी जो आपको इतना प्यार स्नेह आशीर्वाद मिलता है। बड़े सहज सरल भाव से उन्होंने कहा मैं नहीं जानता हूं क्या वजह है फिर भी मेरी सोच में, मेरी कोई जाति धर्म भाषा नहीं है में अभी मानव मात्र से स्नेह करता हूं। मानवता मेरा धर्म है भारत पर गर्व है पर किसी दूसरे देश से नफरत भी नहीं दुनिया के तमाम मानव मात्र के प्रति मेरी सदा शुभ कामनाएं बनी रहती हैं सभी के भीतर ईश्वर विराजमान हैं जिस ईश्वर ने हमें जन्म दिया उसी ने सभी को भी में सभी को प्रणाम करता हूं सदा ही।

मेरी सोच में कभी भी कोई छोटा नही होता न में किसी को बड़ा मानता हूं। खुद को लेकर भी मेरी यहीं सोच है में अपने को कभी बडा नहीं समझता हूं पर हां छोटा भी नहीं मानता। स्वाभिमान मुझे मेरे पिता से मिला है। में सदैव उन्हीं लोगों से मिलता बात करता जो सहज सरल इंसान हो मानवता के पक्षधर है। किसी भी राजनीति और धर्म से मेरा कोई रिश्ता नहीं है। में प्रकृति को ईश्वर मानता हूं। और सभी अच्छे इंसान को आदर भाव से सम्मान देता हूं फिर वो किस राजनीति पार्टी से है किस धर्म का हे ये बाते लिए कोई मायना नहीं रखती
ऐसे कई कारण हैं मेरी सोच में शायद यही वजह है मुझे बहुत प्यार करते हैं सभी स्नेह और आशीर्वाद देते हैं
हा मेरी असली ताकत मुझ से जलने और नफरत करने वाले हैं जो मेरी ताकत सदा बना रहे हैं आज भी । इसलिए मैं चाहने वाले को तो प्रणाम करता ही हूं दिल से पर जलने और ईर्ष्या रखने वाले को भी दिल से प्रणाम करता हूं उनकी यहीं सोच तो मुझे सदा सक्रिय बनाए रखती है और ताकत देती है। इसलिए मानव मात्र को मेरा प्रणाम दिल से पशु पक्षी सभी को प्रणाम करता हू