साहित्य
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Kanyadaan…
Stree koi vastu toh nhi, Fir kyu uska kanyadaan krte hai,, Jo mata-pita bade hi naazo se palkr use bada…
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हथेली की मेहंदी
(यह कविता फौजी के जीवन पर आधारित हैं। इस कविता में फौजी की पत्नी ,और उसके परिवार की परिस्थिति का…
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मैं संवरना चाहती हूँ!
मैं संवरना चाहती हूँ ! यूँ तो मुझे पायल पहना पसंद नहीं, पर फिर भी किसी के नाम पहन झूमना…
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समय बहुत बलवान होता है…
समय कितना बलवान होता हैले जाता है दूरहमसे हमारी हंसती खेलती दुनियायह नहीं कि रहता नहीं कोई अपनाइस जगत मेंबल्कि…
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आखिर कब तक
आखिर कब तक मैं दुस्वर इस संसार में,आने से पूर्व पूर्ण विराम में।मां की कोख उजाड़ी इस पितृसत्ता ने,मेरी क्या…
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अधूरी-अधूरी बाते
अधूरी-अधूरी बाते तेरी अधूरी – अधूरी कहानी मेरी चाँद की चाँदनी सी तू भोर के ओस जैसा मैं अधूरी- अधूरी…
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पाठकीय प्रतिक्रिया
गायन्ति देवाः किल गीतकानि (गंगा खण्ड) समीक्षक – इं. हेमंत कुमार गंगा नदी भारत के साथ साथ विश्व की प्रमुख…
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कविता ‘ मोह ‘
मोह मानिंद है पृथ्वी के ये कहना अनर्गल ना होगा , जिस तरह पृथ्वी अपनी ओर खींचती है ; उसी…
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क्या समय वाकई बदल पाएगा ?
दिन ढल रहा है, रात हो रही है,वो आगे बढ़ रहा है,मैं सहम कर सो रही हूँ,अरे कोई बोले उस…
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Mother
As her wavy curls blew in the gale,her eyes expressed a sad tale,her voice seemed of a melancholic nightingale,telling a…
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