अपनी मंजिल के विश्वास को जीतु
मैं अपनी मंजिल के विश्वास को जीतु
ख़ुद पर रख भरोसा हमेशा आगे बढ़ता रहूं
जीवन की नई कठिनाईओं को मैं पार करूँ
रख अपने विश्वास की एक कलम को
हर कोरे पन्ने पर अपने जीवन का इम्तिहान लिखूं
मैं अपनी मंजिल के संकल्प को पार करूँ
रास्ते मे जो भी मिले उसे सहज स्वीकार मानूँ
इस राह पर अपने मन , ऊर्जा को हमेशा सर्व रखूँ
मैं अपनी मंजिल के विश्वास को अटल रखूँ
अपनी दृढ़ राहों में सफलता की नींव का निर्माण करूँ
मिटाकर अंधरे को प्रतिदिन सूरज की किरणों का स्वागत करूँ
ख़ुद के दिल में विश्वास की जीत का एक दीपक जलाऊँ
मैं अपनी मंजिल की राहों में दूसरों का भी विश्वास जगाऊँ
मैं अपनी मंजिल के विश्वास को जीतु
-डिम्पल कुमारी प्रजापत
