
__कैलाश चंद साहू
अभी भी मुहब्बत जिंदा है
फिर भी इनायत जिंदा है।।
वादों इरादों का क्या अब
अभी भी नफरत जिंदा है।।
क्यों करते हो वादा तुम
अभी भी इबादत जिंदा है।।
हर लम्हा याद में तेरे
अभी भी नजाकत जिंदा है।।
महफूज नहीं तेरी वफ़ा
फिर भी सवालात जिंदा है।।
हुस्न का जलवा है तिरि
अभी भी नसीहत जिंदा है।।
जीने की तमन्ना मुझमें
अब भी इबादत जिंदा है।।
फूलो की क्या बिसात
अभी भी नफासत जिंदा है।।
तेरी मुहब्बत का मुकाम
अभी भी मुहब्बत जिंदा है।।
बहुत पुरानी पहचान है
वहीं अभी इमारत जिंदा है।।
मुंह फेर लिया उसने पर
मुहब्बत अभी भी जिंदा है।।
अब तलक भी तुम कमाल
तेरी हर जियारत जिंदा है।।
खूबसूरत तेरी निगाहें यार
अभी भी मुहब्बत जिंदा है।।
मेरी कोशिश तुम्हे याद है
अभी भी शिकायत जिंदा है।।
कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान