__सीताराम पवार

आजकल साए से मेरे वो डरते हैं मगर दीदार की बातें करते है
कलम से कलाई मुड़ती है वो तलवार की बातें करते है|
दिल में होता हरदम धोखा मगर प्यार की बातें करते है|
न जाने क्यों खफा है मुझसे सूरत देखना भी गवारा नही
आजकल साए से मेरे वो है डरते हैं मगर दीदार की बातें करते है
हमसे जो लिया है अब तक लौटाने का नाम नहीं लेते
अब तुम ही बताओ उनको क्या दे उधार की बातें करते है|
नजर कहीं निशाना कहीं और हाथ भी तो कांपते है उनके
म्यान पकड़े खड़े हैं मगर वह हथियार की बातें करते है |
जंग के मैदान को वह खेल का ही मैदान समझते है यारो
लड़ना तो दूर रहा वो जीत और हार की बातें करते है|
अब तो उनकी बातों पर विश्वास करना भी मुश्किल है
छोड़ पवार क्या रखा उनकी बातों में वो बेकार की बातें करते है
आए कहां से जाना कहां अबतक देखो असमंजस में है
इस पार के रहने वाले हैं और उस पार की बातें करते |
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
मध्य प्रदेश