
कैलाश चंद साहू
नफरतों को भुला कर मिले गले
ईद मिलन का प्यारा त्योहार है।।
भूलकर सारे गीले शिकवे दिल से
ईद का मकसद बढ़ाना प्यार है।।
कर भला हो भला सदा ही सबका
ईद भाईचारे का एहसास प्यार है।।
मिठाइयां बांटकर खुशी का दिन
सभी में भाईचारा हर्ष बरकरार है।।
शांति नफरत मिटाने का संदेश
मिलकर गले ईद का त्योहार है।।
समझकर करे काम अपमान नहीं
देख लो करना बूरा काम खार है।।
सबके लिए मांगी दुआ ईद पर
अब सजा ख्वाजा का दरबार है।।
ईद खुशियों भरा अरमान ख्वाब है
आदमी को आदमी से ही प्यार है।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान