
__सुषमा दीक्षित शुक्ला
सुन मेरी जिज्जी ओ प्यारी ।
तुम कितनी सुंदर हो न्यारी ।
जैसे कोई राजकुमारी ,,,,2 ।
तुम माँ सी करती रखवारी ।
हम सबको हो जान से प्यारी ।
माँ बापू की तुम राजदुलारी ।
जीजा जी की प्राण पियारी ।
तुम जैसी ना बहन किसी की ,
इस जग में होती है ।
ममता का दरिया है तू तो ,
करुणा की ज्योती है ।
कभी बहन तू कभी सहेली ,
माँ जैसी लगती है ।
हम सबका है बड़ा सहारा ,
ईश्वर सी दिखती है ।
तुम बचपन मे मेरे खातिर ,
रात रात जगती थी ।
बोतल से थी दूध पिलाती ,
और फ्रॉक सिलती थी ।
तुम हो मेरी पहली टीचर ,
इंग्लिश रोज पढ़ाती ।
मेरे काजल टीका करके ,
पोएम रोज सिखाती ।
मैं नन्ही सी थी तब ही ,
तुम ससुराल चली आई ।
बड़ी हुई तब पढ़ने खातिर,
अपने सँग ले आई ।
कदम कदम पर मुझे सम्हाला,
देती सदा दुहाई ।
सुख दुःख में तू साया बनकर ,
माँ जैसी दुलराई ।
हे! प्रभु ,प्यारी जिज्जी की मैं,
छाया सदा सदा पाऊँ ।
उनका साथ कभी ना छूटे ,
जब जब धरती पर आऊँ ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला