हाल जो पूछोगे तुम मेरा,
पिघल जाऐंगे हम मोम की तरह।
रिश्ता है रूह से तेरी,
मेरा तेरे दिल से नाता है।
एक तू ही है ,
जिसके खातिर मैंने खुद को संभाला है।
रूक जाएंगी यह साँसे मेरी,
अगर तू मुझे छोड़कर चला गया।
पास ही रहना अब तू मेरे,
जुड़ गया है दिल मेरा तुझसे रांझा की तरह।
सिर्फ जरूरी है मेरे लिए तेरा पास होना।
गुनाह नहीं होता है मुहब्बत करना,
गुनाह है उसमें बहक जाना।
गुनाह है यह सोचकर की वो सिर्फ तुम्हारी है,
इस बात को लेकर उसे अपनी जिद्द बना लेना।
गुनाह है उसकी आँखों को नम करना,
जिसमें कोई और ना बस्ता तुम्हारे सिवा।
गुनाह है उसकी आबरू पर हाथ दालना,
जिसे उसने तुम्हारी मुस्कुराहट के लिए खो दाला।
गुनाह है तुमने उसकी मुहब्बत को मखौल समझना,
फिर भी उसके दिल में कोई ना बस्ता तुम्हारे सिवा।
-अमन वर्मा
जयपुर
