एक दिन रंग लाएगी

शायर आनंद कनक
वो तुम्हारी बुतपरस्ती एक दिन रंग लाएगी
वो हमारी जिंदगानी एक दिन रंग लाएगी।।
जब तलक रहेगी दुनिया में ये मारा मारी
इस दुनिया में तसल्ली एक दिन रंग लाएगी।।
प्यार मुहब्बत करके सहते हैं लोग मुसीबतें
हर कदम पर खामोशी एक दिन रंग लाएगी।।
माना कि जीवन है बहुत ही कठिन यहां पर
मुफलिसी होगी सस्ती एक दिन रंग लाएगी।।
जो दिल को छू गया है रहेगा दिल के करीब
उसकी चाहत देखना एक दिन रंग लाएगी।।
ये दुनिया का दस्तूर है करते हैं लोग वफ़ा भी
यह उनकी बुतपरस्ती एक दिन रंग लाएगी।।
मयकशी में पीना उनके लिए कोई नई बात
ये उनकी मयपरस्ती एक दिन रंग लाएगी।।
पीकर जाम भूल जाते है लोग अपनी फितरत
मुहब्बत से ही जिंदगी एक दिन रंग लाएगी।।
करना प्यार वफ़ा संग दिल्लगी फिर भी यहां
गुल खिलाएगी ये मस्ती एक दिन रंग लाएगी।।
मरकर भी जिंदा है मुहब्बत इस जहां में गर
कनक आशिकी हमारी एक दिन रंग लाएगी।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
शायर आनंद कनक
बूंदी राजस्थान