
मधु शंखधर
काली दिवस सप्तम सरस ,
नौरात्रि नव शुभता सुजस ।
रक्षा करें माता सदा ,
प्रति चैत्र मासे प्रतिपदा ।।
दानव दलन को तारती ,
माँ अष्टभुज संहारती।
महिषा असुर मर्दन करीं,
माँ रक्त सारा मुख वरीं ।।
माँ मुण्डमाला गल धरे ,
तन श्याम शोभा माँ वरे।
अनुपम सुहानी भव्यता ,
माँ जागरण शुभ सभ्यता ।।
नौ देवियों में दिव्यता ,
माँ कालिका सी नव्यता ।
लाली अधर पर शोभती ,
शाश्वत प्रभा मन मोहती ।।
माँ अर्ध रूपी शिव वरद ,
हैं शक्ति रूपा माँ सुखद।
कष्टों दुखों की नाशिनी ,
दुर्गा परम सुख दायिनी।।
पूजन करो वंदन करो ,
माँ का मनन चिंतन करो।
जय – जय महा हे कालिका ,
करतीं सुखद मधु तालिका।।
मधु शंखधर ‘स्वतंत्र’
प्रयागराज
08/04/2022