
बिमल काका गोलछा “हँसमुख”
किस्मत ही कुछ ऐसी थी मेरी,
एक राह पर उसे मिला दिया।
सोया हुआ कभी भाग्य मेरा,
उसमें उसने प्यार जगा दिया।।
जब कभी चाहा, रूठना उससे,
उसकी हंसी देख मुस्करा दिया।
सदा चाहा उसको, जी भर मैंने,
फिर कैसे, मुझको भूला दिया।।
सह ना सकूंगा, मैं उसकी जुदाई,
उसने मुझको कैसा सिला दिया।
“हँसमुख” आँखों से झरता पानी,
उसकी यादों ने मुझे रूला दिया।।
बिमल काका गोलछा “हँसमुख”
श्रीडूंगरगढ़ (बीकानेर) राजस्थान