साहित्य
खूबसूरत नज़ारे

रीमा सिन्हा
प्रकृति की गोद में पल्लवित खूबसूरत नज़ारे,
मन को लुभाते स्निग्ध कुसुम टिम टिम तारे।
सित मुक्ताहल अभिराम बिछा है नभ में,
हिमाच्छादित पर्वत प्यारे प्यारे…
मर्मर नूपुर ध्वनि से शोभित बसंती बयार,
कवि की कल्पना को करते साकार।
किल्लोलिनी सरिता कलकल बढ़ती जाए,
किशोरी की वेणी- बन्धन प्रियतम को बुलाये।
जगमग तारे,निशा तम, शीतल शशि तो रवि उष्म,
इस धरा पर सब अनमोल हो वृहत या सूक्ष्म।
पुलकित स्नेहिल तन मन भीगी भीगी मेघ की फुहारें,
हर्षित करते तन-मन इस धरा के खूबसूरत नज़ारे।
रीमा सिन्हा(लखनऊ)