
__रेखा रानी
ख्वाबों की खिड़की खुली रहे
ख्वाबों की खिड़की खुली रहे,
भले हो जाएं बंद सभी राहें।
हम पत्थर बन ज़िंदा न रहें
मर जाएं कहीं न संवेदनाएं।
सांसों का आनापान रहे
जीवन की यही निशानी है।
निज मर्यादा का भान रहे,
अपनी संस्कृति न बिसराएं।
स्वागत हंसकर ही करें सदा
जीवन में जो भी पल आएं।
रेखा बाधाएं दे जाती हैं
जीवन में हमको सीख नई।
स्वीकार करें हम हारों को,
फिर बढ़ें विजेता बन जाएं।
रेखा रानी
विजयनगर गजरौला,
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश।