__अनुराधा प्रियदर्शिनी
संताप मन का मिटे।
जब गुरु संग रहे।
ज्ञान का दीपक जले।
हिय प्रकाशित करे।।
सन्मार्ग पर ले चले।
ईश का बोध कराता।
ज्ञान ज्योति जलाता है।
गहन तिमिर मिटे।।
समर्पित भाव मेरा।
गुरुदेव शरण में।
मुझको सत्य बोध हो।
तुम्ही उद्धारक मेरे।।
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश