
__अमर सिंह राय
मुँह देखी व्यवहार करें जो,
बोलें हरदम जी सरकार।
झूँठी करें प्रसंशा सम्मुख,
वह कहलाते चाटुकार।
जी-हुजूरी में अव्वल यह,
स्वार्थी रहता है अंतर्मन।
मधु-रस वाणी से टपकाते,
नहीं बोलते कटुक वचन।
मान प्रतिष्ठा की न चिंता,
स्तर से नीचे गिर जाते।
चापलूस,चमचा,पिछलग्गू,
केवल अपना काम बनाते।
मानी जाती है दुनियाँ में,
सूरत से भी सीरत अच्छी।
लेकिन फक्क उजालों के,
मन कपटी हैं और कुलक्षी।
अगर आपकी आपके आगे,
करे प्रसंशा और बखान।
सहसा बातों में न आना,
चाटुकार से सावधान।।
मौलिक/अप्रकाशित-
अमर सिंह राय
नौगांव, मध्यप्रदेश