__कैलाश चंद साहू

जाति पांति के बंधन मुक्त्त रखो इंसान को
धरती बांटी अम्बर बांटा मत बांटो इंसान को।।
कर्म धर्म का छोड़ झमेला, मत बांटो इंसान को
तेरा कर्म ही महान , तोड़ कड़ी उस शैतान को।।
ये जग है दुनिया का मेल, मिला सदा इंसान को
नफरतों की छोड़ आंधियां, न जला इंसान को।।
श्रेष्ठ समाज का निर्माण बिगुल फूंक इंसान को
जन गण मन का गान कर, मत बांटो इंसान को।।
सब है भारत माता के पुत्र, मतकाम शैतान को
करे सदा याद ये चमन मिला खुदगर्ज इंसान को।।
मातृभूमि के लिए मरना, भारत के ईमान को
सन्मार्ग पर चलकर, शिक्षा दे तू अभिमान को।।
पावन रख तू कर्म सदा, अत्याचार कमान को
लड़ाई झगड़ा मार से दूर, गले लग इंसान को।।
मन भावन हो कर्म सदा, माटी का बुत जान को
दिखावा आडम्बर से दूर मत घबरा जहान को।।
आता है सो जाता राजा रंक फकीर, रख मान को
सबका भला कर मत रो तू मानव अभिमान को।।
सद कर्मो की पूजा होती, मत बन बुरे कर्म शान
प्रेम भाईचारा रहे सदा अमन , इस जहान को।।
कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान