__शायर आनंद कनक

जिंदगी के हर मोड़ पर गफलत रहींं
बहुत संवारा फिर भी मोहब्बत रही।।
दर्द जब हद से गुजर गया क्या करे
दूर होने की वजह शिकायत रही।।
कैसे जताए उनसे कैसे कहे जानम
ये दिल तुम बिन यार कुर्बत रही।।
जिसको चाहा जी भरकर हमने
वो सजल जिंदगी की खामानत रही।।
शायर तो होता जिंदगी का सफर
रात शरारत बाते उर कयामत रही।।
हर नजर उसकी मुहब्बत में यार
उसकी आंखों में सदा हिमाकत रही।।
चांदनी रात में भी होगी कोई बात
जाने क्यों खुशियों में नसीहत रही।।
गैरों ने ही निभाया ता उम्र साथ मेरा
बस अपनो की तो नफरत रही।।
हर ख्वाब को किया चकना चूर
उन पलों की हमको जरूरत रही।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
शायर आनंद कनक