जिन्दगी से गुजारिश है।
ख़ुद को पाऊँ बस इतनी सी कोशीश है।
कुछ वक्त और दे जिन्दगी,
अभी अधूरी मेरी ख़्वाहिश है।
मेरी हिस्से की खुशियाँ मुझे लौटा दे,
क्यूँ हर तरफ़ गमों की बारिश़ है।
दे दे कुछ येसा तोफा
के महक उठे ये जिन्दगी,
ए-जिन्दगी तुझसे यही गुजारिश है।
व्यक्तित्व देख कोई न कहे ये नुमाइश है।
असफलता भी मिले राहो में तब भी चलती रहूँ,
सफलता के सीढ़ियाँ चढ़ती रहूँ,
यही तुझसे शिफारिश है।
ए-जिन्दगी तुझसे यही गुजारिश है।
—Meera shamatkar
