__राजेश राठौर झूमका

जिस दिन हमारी सादगी श्रृंगार हो जाएगी
यकीन मानिए दोस्तों उस दिन आईने की हार हो जाएगी!!
खूबसूरती छिप जाएगी आकाश के आगोश में
दिल्लगी उस दिन परवान चढ बंदगी हो जाए!!
कहानी किस्तों में सुनाया जाएगा श्रृंगार को
ख़ुबसूरती ज़माने भर की उस दिन निराधार हो जाएगी!!
आईने से कह दो हमें तेरे प्रतिबिंब की ज़रूरत नहीं
आईना बन हमारी ख़ुबसरती ख़ुद आईना हो जाएगी!!
सादगी से बढ़कर कोई ख़ुबसूरत दुनिया में होती नहीं
दिखा देंगे ज़माने को सादगी अमर हो जाएगी!!
सादगी से जीता जा सकता है दुनिया में हर इक दिल को
सादगी में रमा ईश्वर सादगी ईश्वर हो जाएगी!!
राजेश राठौर झूमका