
__डॉ रमाकांत क्षितिज
राम के अवध म
टीकर गांव अहय सन्नाम
जवने धरती पय
स्वामी परमहंस कय
कबो रहा ठिकान
वय तव रहेन सकल जहांन
उनकी काय कय
टीकरगांव रहा ठिकान
उनके दर्शन मात्र से
सब भक्तन कय
कष्ट कय रहा निदान
फागुन
तेरस का मेला लागय
वह मेला म
चवगिर्दी दस पांच कोस से
भक्तन कय भीड़ जुटान
लरिका पियरा तोरि
बनिया क़ा बेंचय
काका काकी
भईया भौजी
अइया बाबा
दुइ दुइ पइसा
कय करय जुगाड़
ख़ुरपा खुरपी
दवरी दऊरा
कुल्हरी कुल्हरा कय
यह मेला म
करय जुगाड़
मझली बड़की
गोरकी पतरकी
छोटकी बड़की
बाला बाली
लाली वाली
कय करय इंतज़ाम
भौजी करय
मेहावरे
अउर सेंदुरे कय
कय इंतज़ाम
केहू बैल गाड़ी
केहू घोड़ा गाड़ी
केहू टम्पू से
तव केहू रेक्सा एक्का से
स्वामी जी के दर्शन खातिर
धावा जाँय
केहू सायकिली से
केहू मोटर सयकिली से
जेकरे कुछ न रहय
ऊ दस पांच कोस
पयदरय चलत जांय
गज़ब गज़ब कय सरकस आवय
बंदर खेल ख़ूब देखावय
हाथी साईकिल तक़ चलावय
मौत के कुँवा म
मनई मोटर सायकिल चलावय
मेहरारू मेहरारू
से दंगल म
पंजा से पंजा लडावय
ई खेला सबही के मन भावय
गोल्लईया जलेबी
पान सुपारी तमाकू
कटति रहय
लौडा लौडिया
कय छेड़ खानी चलति रहय
मेला म काउ जने कय
सउदा पटत रहय
नात बात संगी साथी
सहेली सहेला से
भेंट मुलाक़ात होत रहय
जंगल के इनारा पय
भुजावा लाई चना
गुड़ गट्टा कटत रहय
केहू कय गदेल
केहू कय चप्पल जूता
हेरात रहय
लाऊडिसपीकर पय
गोहार मची रहय
निशानेबाज़ी जुआ कय भी
इंतज़ाम रहय
शिलाजीत कय गोली
एक कोने म बिकात रहय
रेली कय रेला
ठेली कय ठेला मचा रहय
मनन गर्दा माटी से मनई
सजा रहय
पुजारी महराज
ब्रह्माचारी
गद्दीधर
मौनी महराज
के लगे मनई कय
मज़मा लगा रहय
एक दिना कय मेला
चार छह दिन पहिले से
ही लगा रहय
वह दिन टीकर आश्रम
प्रयागराज कय
संगम बना रहय
स्वामी जी कय कृपा
पूरे अमेठी पय
डटी रहय
स्वामी जी कय कुकुर
पूड़ी बर्फी मावा रहय उड़ाय
पेड़े जंजीरी म बंधा पागल
कुछ दिना महीना म
स्वामी जी की कृपा से
ठीक होइ जाय
गौशाला कय गईया
खाय खाय खूब रही मोटाय
वह दिन लागय
टीकरय दुनियां आ
अबव हर मंगर क
मेला लागय
अब उ पहिले जइसे बात नाई
स्वामी जी कय कृपा बड़ी महान
जेका जानय सकल जहांन
बोलिये स्वामी परमहंस की जय
डॉ रमाकांत क्षितिज