
__सीताराम पवार
तुम्हारी खूबसूरती के नहीं हम तो सादगी के दीवाने हैं
अमावस की रात में कभी रोशन सितारे नहीं होते |
पतझड़ के रूखे मौसम में हसीन नजारे नहीं होते |
खुदा कसम गर हम तुमसे मोहब्बत नहीं करते तो
आज भी तुम हमको इतने हसीन और प्यारे नहीं होते |
तुमने नजर उठा कर भी नहीं देखा देखने वालों को
एक नजर देख लिया होता तो कितने ही इशारे होते |
आजकल जमाना तीखी नजरों को तीर समझता है
आज तुम्हारे तीखे तीरो के वार इतने भी करारे नहीं होते |
अभी नादान हो ना समझ हो जानते नहीं तीखी नजरों को
अभी-अभी लोंग पहनी है इसमें लश्कारे नहीं होते |
प्यार के समंदर में दिल की कश्तियां डूब जाती है
इस समंदर में लहरें होती हैं डूबते किनारे नहीं होते |
तुम्हारी खूबसूरती के नहीं हम तो सादगी के दीवाने हैं
आईने में अक्स से देख लिया होता फिर तुमने बाल संवारे नहीं होते|
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी