__नागेन्द्र नाथ गुप्ता

मन में शांति चाहिए सभी को,
चित्त में शांति चाहिए सभी को।
उदिग्न मन हो जाता है अशांत,
कैसे करेंगे हम शीघ्र उसे शांत।
हमें शांत चित्त हो के तब बैठना,
मौन रहना है न अधिक बोलना।
हर इंसान को जरुरी है शांति
शांति लाएगी, जीवन में क्रांति।
ईर्ष्या द्वेष, बैरभाव करें हम दूर
फिर हम होंगे न इतने मजबूर।
अगर आ गई अपने मन में शांति
फिर रहे न चंचलता, न अशांति।
ध्यान करना, है सर्वोत्तम उपाय
फिर आदमी रहे न निरूपराय।
बैठे बंद कर के आंखें तनिक देर
मन को शांति मिलेगी देर- सबेर।
हम बने सरल, शांति के उपासक
चलो हम बने शांति के प्रचारक।
अधिकतर हैं तनावग्रस्त सारे लोग
मन में हो शांति तो भागे सारे रोग।
नागेन्द्र नाथ गुप्ता
ठाणे (मुंबई)