
__लेखक : देव सोनी
एक गाँव में श्याम और नंदन नाम के दो दोस्त रहा करते थे. श्याम धनी परिवार का था और नंदन गरीब. हैसियत में अंतर होने के बावजूद दोनों पक्के दोस्त थे. एक साथ स्कूल जाते, खेलते, खाते-पीते, बातें करते. उनका अधिकांश समय एक-दूसरे के साथ ही गुजरता.
समय बीता और दोनों बड़े हो गए. श्याम ने अपना पारिवारिक व्यवसाय संभाल लिया और नंदन ने एक छोटी सी नौकरी तलाश ली. जिम्मेदारियों का बोझ सिर पर आने के बाद दोनों के लिए एक-दूसरे के साथ पहले जैसा समय गुज़ार पाना संभव नहीं था. जब मौका मिलता, तो ज़रूर उनकी मुलाकातें होती.
एक दिन श्याम को पता चला कि नंदन बीमार है. वह उसे देखने उसके घर चला आया. हाल-चाल पूछने के बाद श्याम वहाँ अधिक देर रुका नहीं. उसने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और उसे नंदन के हाथ में थमाकर वापस चला गया.
नंदन को श्याम के इस व्यवहार पर बहुत दुःख हुआ. लेकिन वह कुछ बोला नहीं. ठीक होने के बाद उसने कड़ी मेहनत की और पैसों का प्रबंध कर श्याम के पैसे लौटा दिए.
कुछ ही दिन बीते ही थे कि श्याम बीमार पड़ गया है. जब नंदन को श्याम के बारे में मालूम चला, तो वह अपना काम छोड़ भागा-भागा श्याम के पास गया और तब तक उसके साथ रहा, जब तक वह ठीक नहीं हो गया.
नंदन का यह व्यवहार श्याम को उसकी गलती का अहसास करा गया. वह ग्लानि से भर उठा. एक दिन वह नंदन के घर गया और उससे अपने किये की माफ़ी मांगते हुए बोला, “दोस्त! जब तुम बीमार पड़े थे, तो मैं तुम्हें पैसे देकर चला आया था. लेकिन जब मैं बीमार पड़ा, तो तुम मेरे साथ रहे. मेरा हर तरह से ख्याल रखा. मुझे अपने किये पर बहुत शर्मिंदगी है. मुझे माफ़ कर दो.”
नंदन ने श्याम को गले से लगा लिया और बोला, “कोई बात नहीं दोस्त. मैं ख़ुश हूँ कि तुम्हें ये अहसास हो गया कि दोस्ती में पैसा मायने नहीं रखता, बल्कि एक-दूसरे के प्रति प्रेम और एक-दूसरे की परवाह मायने रखती है.”
सीख – पैसों से तोलकर दोस्ती को शर्मिंदा न करें. दोस्ती का आधार प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की परवाह है.
लेखक : देव सोनी