
__प्रीति चौधरी”मनोरमा”
मन अधीर होने लगा, देख पिया का रूप।
रानी बनकर मैं सजी, साजन बन गए भूप।।
देख मिलन बेला अहा, नाचे मन का मोर।
नूपुर पग में बंध गये, धड़कन करती शोर।।
प्रेम-रति बनकर मिलो,साजन सजनी संग।
अधरों से छू लो पिया,कोमल आतुर अंग।।
लिख दो पाती प्रेम की, पिया बदन पर आज।
भावों से ही खोल दो,कहे-अनकहे राज।।
देख मिलन की चाँदनी, धवल हो गयी रात।
निकट सजन जब आ गए, बहका मेरा गात।।
साजन मुझको ले चलो, सागर के उस पार।
पी लूँ तेरा रूप मैं, जैसे रस की धार।।
मन अधीर होने लगा, साजन आये पास।
प्रेम निशानी दे रहे, कोई मुझको खास।।
कली-कली पर डोलते, भ्रमर करे गुँजार।
चूम-चूम कर पुष्प दल, खोले उर का द्वार।।
आज प्रेम की चाशनी, देना उर में घोल।
मधुर बने फिर भावना, मीठा हो हर बोल।।
राधा आयी साँवरे, सुनकर मधुर पुकार।
भीगे तन-मन साथ में, बरसे प्रेम फुहार।।
प्रीति चौधरी”मनोरमा”
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश