शेख रहमत अली “बस्तवी”

चलो सब मिल कर करें प्रतिज्ञा
धरा को अपने बचायेंगे
हम सब जिम्मेदारी को समझें
कर्तव्य को अपने निभायेंगे
स्वच्छ करेंगे वातावरण को
गंदगी नहीं फैलायेंगे
यह धरा धरोहर है क़ुदरत का
क़ुदरत की शान बढ़ायेंगे
धरती है अपने माँ जैसी
जन-जन को ये बतलायेंगे
धरती माँ सब फर्ज़ से फारिग है
हम बेटे का फर्ज़ निभायेंगे
नदियाँ, झरने, पर्वत, सब तुझसे
धरती माँ तेरे ही गुण गायेंगे
मौलिक स्वरचित
शेख रहमत अली “बस्तवी”
बस्ती उ, प्र, ( भारत)