नवरात्र – विशेष
डॉ पंकजवासिनी
कलश भावों भरा
माँ भावों भरा है यह कलश!
मन का सारा मिट गया तमस!!
निर्मल मन का शुभ कलश ले…
मांँ दुर्गा की कर आराधना!
शक्ति की अधिष्ठात्री देवी!
सिद्धिदात्री की प्रार्थना!!
इस शुभ मंगल अनुष्ठान का
शुभारंभ है कलश- स्थापना!
मां के प्रति श्रद्धा भक्ति की
शुभ कलश :प्रथम निदर्शना!
नवरात्रि का शक्ति आह्वान
भाव भरे कलश से करना।
अमृतमय है भाव नियोजित
देवी कृपा की संकल्पना!
चरणों में नत गहूंँ शरण माँ!
काटो बंध विकट कोरोना!!
जीवन पथ है कंटक भरा!!
संघर्ष – शक्ति धैर्य देना।।
लो अमृत भक्ति हृदय कलश
मांँ त्रिताप हर, आशीषना!!
नवदुर्गा – प्रार्थना
शैलपुत्री गिरिसुता
माँ वांछित दायिनी
उत्कट तपस्या लीन
परम ब्रह्मचारिणी
मनवांछित फल हेतु
दृढ़ संकल्प धारिणी
लक्ष्य प्राप्ति तक रत:
गुरु ज्ञान प्रसारिणी
शीतल चंद्रघंटा
शशि सम शांति दायिनी
ब्रह्मांड स्रष्टा
उन्नति प्रदायीनी
कूष्मांडा माता
बीज रूप धारीणी
वृत्ति निरोधा पावन
कार्तिकेय कि जननी
सकल पुरुषार्थ दात्रि
माता कात्यायनी
भय विमुक्त कालरात्रि
तम निशा स्वरूपिणी
सर्वमंगल कारिणी
माँ अनिष्ट विनाशिनी
शुभ्र वस्त्र धारिणी
श्वेतपद्म विराजिनी
परम शुभ महागौरी
सकल पाप विनाशिनी
अष्टसिद्धि स्वरूपिणी
मांँ सिद्धि वरदायिनी
सकल कामना पूर्णा!
सौभाग्य प्रदायिनि
सहस्त्र भुजाधारिणी
अराल सिंह वाहिनी
खल दुष्ट संहारिणी
माँ अमंगल हारिणी
जनकल्याणकारिणी
माँ ज्ञान प्रदायिनी
अखिल विश्व संचारिणि
सकल शुभ फल दायिनी
जय अंबे जगदंबे
शरणागत भवतारिणि
सुर नर मुनि पूजित माँ
त्रिगुण ताप हारिणी
पुनि पुनि शीश नवाऊंँ:
सकल कष्ट निवारिणी
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डॉ पंकजवासिनी
असिस्टेंट प्रोफेसर
भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय