नौका विहार

सीताराम पवार
देखा तो कोई अपना था दिल से सोचा ये तो सुंदर सपना था
नौका विहार के लिए मां पावन गंगा को हमने चुन लिया
जा पहुंचे गंगा जी के तट नौका विहार का मन बना लिया।
आज तो हसीन मौसम हमारे लिए दिल से खुशगवार था
हमारी इस नौका के चारों ओर झिलमिल सितारों का संसार था।
नीला अंबर हो नील वर्ण धरा पर छाया ये अपूर्व स्वर्ण।
ये चंदा भी था अपने यौवन पर गुमसुम चांदनी अंबर पर।
चांदी जैसी ये गंगा जी की चमकीली धार मेरे हाथों में थी पतवार।
बंद होठ से रजनी बोली हल्के से हमारी नैया डोली।
भीमकाय ऊंचाई पेड़ की थी परछाई वृक्ष ताड़ की।
आसमान पर चांद सितारे थे पूर्णिमा की रात को लग रहे प्यारे थे।
दूर कहीं दूसरी नौका से प्रेम भरा संगीत सुनाई देता है
नौका विहार करने वालों का भी मन मोह लेता है।
दिल में भड़की वो प्रेम की ज्वाला नैया मे थी सुंदर बाला
देखा तो कोई अपना था दिल से सोचा ये तो सुंदर सपना था।
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
मध्य प्रदेश
9630603339