
__राजेश प्रजापति
दुसित हुआ पडा है देखो
जीवन का आधार..
आओ मिलकर स्वच्छ करे
हम सब नदीयो की धार..
बूंद बूंद को तरसो गे
बूंद बूंद को तरसो गे
जो खत्म हुआ पीने का पानी
क्यों ना जल बचाने की,करे प्रतिज्ञा
हम सब मिलकर हिन्दुस्तानी।
पानी एक अनमोल रत्न है
जिसका कोई मोल नही
व्यर्थ ही ना खर्च करो पानी को
पानी बिन सुनी है सबकी जिन्दगी
खेत खलयान और छरनो की
पानी से होती शान ।
जब जोर की धूप सताती
पानी की तब याद है आती
पानी मे ही वसती है
सभी प्राणीयो की जान।
घर की टंकी खुली न छोडो
थोडे पानी से नहा धोलो
नही तो एक दिन पछताओगे
जब धुडे से न मिलेगा पानी
फिर पानी कहा से लाओगे
फिर पानी कहा से लाओगे।
राजेश प्रजापति