
__शहनाज़ बानो
कैसे भूलूं? तुम्हे पापा,
तुमने हर राह पर।
संघर्ष करना सिखाया,
तुमने सही गलत बताया।
मां ने जन्म देकर,
जीवन दिया था मुझको।
पर तुम्हारा संघर्ष ,
मां से कम नहीं था।
हमें पालने के खातिर,
धूप न बरसात देखी।
हमारी खुशियों के खातिर,
कभी न रात देखी।
पिता ने हमेशा सबसे,
आसूं छिपाएं हैं।
हमारे सपनो के खातिर,
अपने अरमान दबाएं है।
सबसे बढ़कर पूजा,
पिता की करती हूं।
पापा मैं तुमको आज भी,
हर पल याद करती हूं।
नही हो हमारे पास,
पर साथ होने का एहसास हुआ।
आज भी साथ देती हैं,
तेरी हर एक दुआ।
शहनाज़ बानो
उच्च प्राथमिक विद्यालय-भौंरी
चित्रकूट-उ० प्र०