
बिमल काका गोलछा “हँसमुख”
प्रभु हमने ढूंढ़ा तुमको,
हर मन्दिर-गुरूद्वारे में।
करके पूजा-आराधना,
ढूंढ़ा तुम्हें हर स्तुति में।।
सोच रहे कहां खो गए,
“हँसमुख” दया निधान।
कृपा कर दर्शन दे हमें,
क्यों बैठे अन्तर्ध्यान।।
गिर जाती है दृष्टि तेरी,
मानवता जिस मन में।
सेवाभाव आतिथ्य से,
प्रकटते सहानुभूति में।।
बिमल काका गोलछा “हँसमुख”
श्रीडूंगरगढ़ (बीकानेर) राजस्थान