
__सीताराम पवार
जब तक जुड़े थे शाख पर जिंदगी उनकी हसीन थी
जिंदगी में जितने भी कोहराम है वह सब झूठे बयान के है|
सच पूछिए तो जिंदगी के ये रिश्ते केवल जुबान के है|
कड़वी सब रिश्ते तोड़ देती हैं और मीठी रिश्ते जोड़ देती है
हमको यहां मिले जो रिश्ते वो सब अपने अपने अरमान के है |
जिसने ये बंद होठ कर लिए अपने उससे उम्मीद क्या करना
इस जहां में उसके यह सारे तेवर खुद की ही शान के है|
जब तक थे ऊपर सारी कायनात उनसे ही रोशन थी
जमीन पर गिरते यहा ये सितारे लगता है आसमान के है |
जब तक जुड़े थे शाख पर जिंदगी उनकी हसीन थी
शाख से गिरते पत्ते फिजा मे आने वाले तूफान के है |
आए थे हम जमीन पर आकर हमको है वापस जाना
यहां पर हमारा कुछ नहीं जो है सब आने वाले मेहमान के है|
जी रहे थे मेरा मेरा कहकर हमको इसका ज्ञान नहीं था
हमको भी नहीं थी खबर हम सब केवल भगवान के है |
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
मध्य प्रदेश