साहित्य
बीते दिन

अमृता खेमका
बहुत अच्छे थे वो बीते दिन
बहुत बिंदास थे वो बीते दिन,
क्यों नहीं लौट आते वो बीते दिन
बड़े याद आते है वो बीते दिन।
न कोई सिर पर जिम्मेदारियों की गठरी
न कोई पैरों में संस्कारों की बैरी
न कोई बंदिशे,न कोई रंजिशें
न कोई शिकवा, न कोई गिला
मन-मगन होकर जीया करते
न कोई कैद पिंजरा,न कोई रोक-टोक
अपनी मर्जी से मस्ती में घूमा करते
न कोई आज की चिंता न कल की
न कोई दुःख,न कोई पीड़ा
जीवन में थी केवल प्यार की हमजोली
रिश्तों में भी थी मिठास और अपनापन
बड़े ही प्यारे थे वो बीते दिन ।।
अमृता खेमका
गुवाहाटी,असम