
__ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
लालन-पालन किया, संस्कार सकल दिया।
माता पिता तुम मेरे,
कन्यादान कीजिए।
कैसी है ये परिपाटी,
किसने रिवाज छाँटी।
दर्द सुता विरह का
मात पिता पीजिए।
घर-घर ढूँढ़ें वर,
गाँव कस्बा या शहर।
करने को कन्या शादी
रूप रेखा सीजिये।
विनती अर्चन कर,
रख वर पग सर।
भर व्यथित हृदय
कन्यादान लीजिए।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी, कानपुर नगर