
__कल्पना भदौरिया “स्वप्निल “
आकांक्षा से मन भरा , आशाएँ फिर साथ |
आनंदी की हो दया, ब्रह्माणी रख हाथ ||
जग मायावी बोलता, हम पालेंगे आज |
मैं अज्ञानी सोचता, ब्रह्माणी पर नाज ||
मन शंकाओं से भरा, अब संभालो यार |
ब्रह्माणी दर्शन मिले,सत संस्कारी सार ||
नादानी को मानकर, कल्याणी दे दान |
हम अज्ञानी माँगते, ब्रह्माणी कर दान ||
कल्याणी माँ शारदे , मायावी संसार |
अज्ञानी सत पथ चलें,संस्कारी व्यवहार ||
ब्रह्माणी माँ को नमन,कल्याणी हो आप |
रुद्राणी बनकर हरो, अज्ञानी का ताप ||
बाधाओं को पार कर,ले कल्याणी नाम |
संस्कारी बनना सदा, संसारी सब काम ||
नादानी को देख कर, नाकामी है हाथ |
कल्याणी नैना कहे,आशाएं सब नाथ ||
लख चौरासी तार दे, हे कल्याणी मात |
हम आभारी आपके, उम्मीदों की रात ||
जग कल्याणी अम्बिका,सब पाएंगे मुक्ति |
ज़ब संभाले मातु श्री, बन संयोगी युक्ति ||
मन आकांक्षा प्रेम की, कर संसारी कर्म |
तज अज्ञानी भाव को, हो रंगीला धर्म ||
कवयित्री
कल्पना भदौरिया “स्वप्निल “
लखनऊ
उत्तरप्रदेश