साहित्य
मल्हार न जायेगे री


डॉ रामशंकर चंचल
आज पिया ना आयेगे री
बांट न देखो सजनी पी की
आज पिया ना आयेगे री
आज रूप के आषाढ़ी बादल
मल्हार न जायेगे री
मत तरसाये दिल को रानी
राजा तेरा मनामोजी है
आ जाये तो पल में आये
ना आये तो युग तरसायें
जुड़े में क्यों डाल रही है
जूही के अंबार सजनिया
अंगो में क्या पाल रही हैं
अभिसारो का प्यार सजनिया
आहो के ये प्याले है तेरे
जीवन का तकरार सजनिया
आंसू के मोती मत बेचो
चुम्बन का इकरार सजनिया
डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश