
__गीता देवी
नवरात्रि हुई समाप्त अब,
मैया तुमसे है कुछ कहना।
अपनी बिटिया की सुध लेने,
रोज मेरी माँ आती रहना।।
तू ही मैया, तू ही पापा,
तू ही भैया, तू ही बहना।
हर रिश्ता तुझमें मैं देखूँ,
निभाने को माँ आती रहना।।
नहीं चाहिए धन और दौलत,
न चाहूँ अब कोई मैं गहना ।
आशीषों से झोली भरने,
सुन मेरी माँ आती रहना।।
सुबह शाम लूँ नाम तेरा,
विरह तेरा मुझको न सहना।
राह निहारूँगी प्रतिदिन मैं,
दर्शन देने माँ आती रहना।।
न आयी यदि मैया मेरी,
निशदिन रोएँगे ये नयना।
गोद बैठाकर आँसू मेरे,
पोंछने माँ आती रहना।।
गीता देवी
औरैया, (उत्तर प्रदेश)