__कमला सिंह छत्तीसगढ़
मातृत्व दिवस के अवसर पर
गुणगान करती हूं
मां तुम्हारी महिमा का
बखान करती हूं
सृष्टि की सीजन करता
तुम्हें प्रणाम करती हूं
कोख में मुझ को सहेजा है
पल पल मेरी ख्यालों में
खुशियों भरा सवेरा है
मेरी जन्म पर हे जगजननी
तुमने दर्दों को झेला है
अज्ञान अनभिज्ञ मैं दुनिया मैं
जब गोद तुम्हारी आई हूं
सब दर्द को भूल कर तुमने मां
अपने खून से सींचा है
मेरी देखरेख मैं है जननी
अपने पलों को समेटा है
मेरी एक आवाज सुन
दौड़ी चली आती हो तुम
मेरे लाला को कभी ना दुख हो
अपने आंचल में समाती हो तुम
डांट डपट कर दुनिया के
हर बुराइयों से बचाती हो तुम
नजर कहीं ना लग जाए
काला टीका लगाती हो तुम
तुम्हारी ममता का कोई मोल नहीं ईश्वर से वरदानी हो तुम
मेरे लिए हे मां शक्ति
दुनिया से लड़ जाती हो तुम
मेरी मीठी बोली सुनकर
खुशियों से भर जाती हो तुम
कली से फूल बनाते तक
हर ध्यान मुझ पर लगाती हो तुम
तीनो लोग के देवता गुणगान
तुम्हारा करते हैं
अनसूया बनकर हे मैया
भ्रम शक्तियों का तोड़ा है
दुर्गा काली के रूप में मां
देवताओं अस्तित्व को
सहेजा है रखवाली कर
राक्षसों से नया जीवनदान तुमने
दीया है हे अंबे जगदंबे मां
जब भी संकट आया देव मानव पर रक्षा कर तुमने सहेजा है
जब भी विबदा देखी बच्चों पर
तुमने हर रूप मैं है मैया
नया जीवन देने आई हो
भारत के कंकण मैं ममता
की बारिश तुम बरसाई हो
भूल जाते हैं क्यों लाल तुम्हें
जब तुम खुद बच्ची बन जाती हो
छोड़ के तुमको प्रिय के अपने
आंचल में छुप जाते हैं
सेवा करने के वक्त में मां
क्यों छोड़ तुम्हें चले जाते हैं
मोड़ के मुख्य अपना अधर्मी
क्यों धर्म की बात सिखाते हैं
अनाथ आश्रम में तुम्हें मां
क्यों छोड़ के यह चले आते हैं
यह दुनिया एक चकरी है
जो तुमने किया मां पर अत्याचार
घूम कर तुम्हारे पास तुम्हारी औलाद भी यही कर जाएगी
पत्नी तो मिल जाएगी दूसरी
पर मां नहीं मिल पाएगी
बच्चों सुन लो मां की वाणी तुम्हारी मां है जग कल्याणी
मां पर कोई आच आने ना देना
कोई संकट आए मां पर जब
गिन गिन कर दुश्मन से बदला लेना चीर के छाती उनका तुम
हर हाल में मां को सम्मान देना
मां तुम्हारी धरती है सृजन
तुम्हारा करती है मां
तुम्हारी गंगा है जो
जीवन दायिनी बनती है
वह सब तुम्हारी माता है
तुम्हारे दुख को हरती है
मां की महिमा को जानो तुम
उनकी ममता को पहचानो तो
मां की ममता कोना आंको
मां को समझो मां को जानो
ममतामई मां हे ईश्वर स्वरूप तुम्हें कोटि-कोटि नमन करती
हूं मां
कमला सिंह छत्तीसगढ़