मेवाडी़ परिपाटी है

रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल
राणा लक्ष्मी की पुण्य भूमि,
दोआबी गंगा माटी है।।
राष्ट्र गान भल गान नहीं मुल,
मेवाडी़ परिपाटी है।।
नर्मदा और नदियाँ जमुना,
सतलुज ते सिन्धु की घाटी है।।
आजाद भगत नेता सुभाष,
की अमर कहानी खाटी है।।
जँह बालाओं को शास्त्र ज्ञान,
मेत्रेयी कथा बताती है।।
विद्योत्तमा हारे विद्वत जन,
कालीदास की थाती है।।
अब्दुल क्लाम जस वैज्ञानिक,
कुरसी भी उच्च सुहाती है।।
मनुबाई की अमर वीरता ,
जँह आज भी गाई जाती है।।
ऐसी माटी के वंशज हम,
आदर्श कथा का मान धरें।।
शरण हमारी आए जतने,
मान दिए सम्मान करें।।
इसका मतलब न गने विदेशी,
न कायर न नपुंसक हैं।।
आदर्श मार्ग के अनुदेशक,
शस्त्र ज्ञान के पोषक हैं।।
युद्ध प्रेम न करें कभी हम,
पंचशील के अनुयायी।।
संदेश यही है जेहादियों,
पहले पुरखन इतिहास पढ़ो।।
आ गये अगर हम अपने पर,
रहना अपना दुश्वार गढ़ो।।
निन्नयानबे ही गनते केवल,
बारी सौ न आने दो।।
जैसे सौ नम्बर होगा तब,
अपनी भी तुम याद न दो।।
भूलो नहीं गोधरा को तुम,
मुल्के अदम अँटा देंगें।।
तिऊहार हमारे मने नही तो,
अम्बर धरनि हिला देंगें।।
चीन अमेरिका समझ लिया है,
अब तेरी ही बारी है।।
यू.पी से है शुरू हुआ,अब
चंचल सब पारी है।।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल,सुलतानपुर, यू.पी.।।