रिश्ते अपनी मौत कभी नहीं मरते

—रवींद्र कुमार शर्मा
रिश्ते अपनी मौत कभी नहीं मरते
बेमौत मर जाते हैं रिश्ते
जब विश्वास टूट जाता है
रिश्तों की नींव उखड़ जाती है
जब स्वार्थ बीच में आता है
रिश्तों में यदि समझदारी से काम लें
तो रिश्ते ज़िन्दगी भर साथ निभाते हैं
अहंकार स्वार्थ पैसा जब आ जाये बीच में
तो रिश्ते चुपचाप कहीं खो जाते हैं
रिश्ते तो फूल की तरह होते है
फैलाते हैं सुगंध अपनी चारों ओर
प्यार और विश्वास की खुराक मिलती रहे
तो कभी कमज़ोर नहीं होती इनकी डोर
रिश्तों की कद्र कीजिये
जितना हो सके इनको बचाइए
मनमुटाव कोई हो जाये तो दूर कीजिये
खुद झुकने से मत घबराइए
रिश्ते ही हैं जो ताउम्र काम आएंगे
सुख दुख में सभी का साथ निभाएंगे
रिश्तों के बिना यह संसार अधूरा है
रिश्तों के बिना सब अकेले रह जाएंगे
अपनी मौत कभी नहीं मरते रिश्ते
रिश्तों को अहंकार और स्वार्थ मिटाता है
ठोकरें ज़माने में जब लगती हैं बहुत
रिश्तों की कीमत कोई तभी समझ पाता है
रवींद्र कुमार शर्मा
घुमारवीं
जिला बिलासपुर हि प्र
हैलो