
__अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’
जेठ मास धू धू तपे,
जैसे झुलसावे आग।
लू के थप्पड़ यूं पड़े,
जैसे तूफानी राग।
जब लू लागे वंदन में,
तब व्याकुल हो मानव।
उल्टी पल्टी और बुखार,
पानी की कमी का दानव।
हाथ पैर जलने लगे,
घर बाहर न सुहाय।
लू का प्रकोप यूं लगे,
फिर ढूंढे शीत सुभाय।
प्याज सदा ले संग में,
पना आम का खाओ।
नींबू पानी पी पी करें,
लू के प्रकोप से बचाव।
पेड़े का शरवत पीओ
लेप आम का लगाव।
ठंडे में रह विश्राम करो
‘अलका’ रही है बताय।
अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’
लखनऊ उत्तर प्रदेश।