साहित्य
विश्व🌏पृथ्वी दिवस

पूजा शर्मा
जनजीवन शुध्दवातावरण,
चारों और खुशहाल जीवन,
शुध्द वायु पेड़ पौधों से ही,
रंग बिरगें फूलों की बाहर,
कल कल बहती धारा,
पृथ्वी माता हमारी जीवन धारा,
कितना सुन्दरदृश्य जिसमें जग है
समाया,
पृथ्वी पर अलग ही धारा,
हर मौसम में अलग खुशबू,
अलग ही सुन्दरता का नजारा,
हर जन जन से कहना,
पृथ्वी की रक्षा करना,
फूलों का गुलस्ता बनाना,
जीवन को महकाना,
ये धरती आंसमा समाया,
ये चांद तारे है चमकाये,
मेरी खुशियों की बाहर तुझमें ही समायी
पूजा शर्मा ग्राम बूधौर जिला विदिशा मध्यप्रदेश