वेदना का एक हिमालय
पार कर लिया है हमने
अब पथ में किसी भी काटों
अब हमें भय नहीं
पथ जब कष्टों भर हमको दिख रहा था
हौसला अपने करो से
भाग्य नुतन लिख रहा था
कट के घनघोर कुहरे
पग सुपथ नित बढ़ है
सूर्य के लघु अशं है हम
सूर्य ने हमको गढा है
कौन है जो कर पाया है
सूर्य को जग से ही पराजित
देव ने हमको चुना है
तो कर लेगे हर
कठिन पथ पार
देव ने ही हमारा पथ चुना है।
-रूरूची नायर
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
