वेदना से भरा खत

वीना आडवाणी तन्वी
नाज़ों से पाला जिस बेटी को
उसे ससुराल वाले कलंकित बताते हैं
कहते हम अभागे हैं , जो तुम्हारी बेटी
का बोझ सच उठाते हैं।।
सुन के अपनी बेटी के लिए अपमानित शब्द
एक पिता का कलेज़ा चीर गया।।
वो पिता खुद को कोसे कह अभागा
जीते जी आंसू से जख़्म सी ही गया।।
दिल पर पत्थर रख पिता बेटी के दहलिज़
से वापस लौट आता है।।
कहता समझा के अपनी निर्दोष बेटी को
बेटी पुण्य कर्म कर सबका दिल पसीज़ जाता है।।
आस लगाए थी बेटी पिता ससुराल के नर्क
से निकाल अपने घर आसरा देगा।।
आस टूटी बेटी की तब जब पिता खामोशी
से हार पीठ दिखा रुखसत ले जाता है।।
एक दिन बेटी का खत पिता के पते पर
पिता को मिल जाता।।
वेदनाओं से भरा वो खत आज भी बेटी
के जिंदा होने का एहसास दिलाता।।
सच पिता उस दिन टूट गया इस कदर
जैसे जिंदा कोई लाश कहलाता।।2।।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र