
शीला शर्मा
पावन यह संबंध हो फेरे हो जब सात
जन्म जन्म का साथ है,, मन में हो विश्वास
अर्धनारीश्वर शिव शंभू,, गोराजी है,वाम
एक दूजे में लीन है,, गौरीशंकर नाम।।।
राधा कृष्ण, सियाराम की, जोड़ी को भी देख
लक्ष्मी नारायण में प्रथम,, देवी हैं प्रत्येक।।।
पति का यह कर्तव्य है,, पत्नी को दे मान
कभी भूल से ना करें,, घर बाहर अपमान।।।
पति को परमेश्वर की तरह,, आदरणीय मान
पर अन्याय को सहना भी, तुच्छ कर्म है जान,
शादी एक परीक्षा है,, नर नारी की पहचान
तप कर जो उत्तीर्ण हो,, कुंदन उसको मान।।
अग्नि को साक्षी मानकर,, जीवन हो प्रारंभ
सुख-दुख संग सहकर करें,,नव यात्रा आरंभ।
दोनों का बंधन नहीं,, यह सामाजिक संबंध
दो परिवारों का मिलन,, नए रिश्तो की सुगंध।
सास श्वसुर,देवर ननंद, साले साली के साथ
प्रेम भरे रिश्ते बने,,हो जीवन में आल्हाद।।।
शीला शर्मा,,, स्वरचित मौलिक रचना
पुणे,,, महाराष्ट्र,,,