
सुषमा श्रीवास्तवा
आओ लौट भी आओ हनुमान
तुम्हें मेरे राम बुलाते हैं, तुम्हें श्री राम बुलाते हैं।
• राम विलाप सुन अधीर हुए तुम,
अति वेग प्रताप से उड़त गए तुम, सुषेन वैद्य को संग ले आए,
संजीवनी बूटी लेन फिरि उड़ि चले तुम,
आँखें टंगी आकाश मार्ग पर,
भोर से पहले संजीवनी लाए,
हरषि प्रभु तुम्हें कण्ठोर लगाए,
लखन उठे ज्यों नींद से जागे,
सब सेना अतिशय हरषाए,
आओ लौट के आओ हनुमान
तुम्हें मेरे राम बुलाते हैं।
• राम काज को हरदम तत्पर,
मातु सिया को सुत सों प्रियतर,
तुम्हरे हृदय बसे सिया संग राम,
आज प्रकट भये हनुमान,
झूमे मेरा मन, तन नाचे गाए,
देवालय में बाजै ढोल नगाड़े
चहुँओर होवै जय जयकारे,
आ गए लौट हमारे हनुमान,
जिन्हें मेरे राम बुलाते हैं, जै जै श्री राम बुलाते हैं।
• बिगड़े काज जो सबके संवारे,
कोई भी भय न किसी को साजै,
जो कोई भी तुम्हरे धुनि में राजै,
श्री राम हनुमंत सी भक्ति जो पावै,
दुःख दारिद्रय निकट नहिं आवै
लो आ गए श्री हनुमान, जिन्हें श्री राम बुलाते हैं, हां,मेरे राम बुलाते हैं, मेरे श्री प्रभु गले लगाते हैं।
रचयिता – सुषमा श्रीवास्तव
मौलिक भाव, सर्वाधिकार सुरक्षित।
रुद्रपुर, उत्तराखंड।